Kalank

Arijit Singh , Pritam

हवाओं में बहेंगे
घटाओं में रहेंगे
तू बरखा मेरीमैं तेरा बादल पिया
जो तेरे ना हुए तो
किसी के ना रहेंगे
दीवानी तू मेरी
मैं तेरा पागल पिया

हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है
इक रांझा और हीर जैसी
ना जाने ये ज़माना, क्यूँ चाहे रे मिटाना?
कलंक नही, इश्क़ है काजल पिया
कलंक नही, इश्क़ है काजल पिया

पिया, पिया
पिया रे, पिया रे, पिया रे
पिया रे, पिया रे (पिया रे, पिया रे)

दुनिया की नज़रों में ये रोग है
हो जिनको वो जाने, ये जोग है
इक तरफ़ा शायद हो दिल का भरम
दो तरफ़ा है, तो ये संजोग है
लाई रे हमें ज़िन्दगानी की कहानी कैसे मोड़ पे
हुए रे खुद से पराए हम किसी से नैना जोड़ के

हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है
इक रांझा और हीर जैसी
ना जाने ये ज़माना, क्यूँ चाहे रे मिटाना?
कलंक नही, इश्क़ है काजल पिया
कलंक नही, इश्क़ है काजल पिया

(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
मैं गहरा तमस, तू सुनहरा सवेरा
मैं तेरा, हो मैं तेरा
मुसाफिर मैं भटका, तू मेरा बसेरा
मैं तेरा, हो मैं तेरा
तू जुगनू चमकता, मैं जंगल घनेरा
मैं तेरा

हो पिया मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा
मैं तेरा, मैं तेरा, हो मैं तेरा
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
(मैं तेरा) मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा (मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)
(मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा)