इकलौता दिल मेरा तुझ पे ही कुरबाँ हुआ
हक़ीक़त है या कोई है वहमी दास्ताँ
सोहबत में तेरी गुज़ारूँ शाम-ओ-सुबहदिलकश रहे ज़िंदगी, है बस यही दुआ
सुन लो ना
लफ़्ज़ क़म से हो गाए
हाज़िर जो तुम हो यहाँ
दिल राज़ी है आने को तेरे ही गुलिस्ताँ
हमतुम जो संग रहें, क़ायम रहें ख़ुशियाँ
धागे मैं ये जोड़ दूँ और गवाह हो ये दुनियाँ
तुम जो मिले तो पता मिल गया लापता बरसात का
ये बूंदें हैं जैसे देने लगे जवाब वो हर बात का
भीगे उन कुल्फ़तों के भीड़ से तुम क़ुर्बतें ये चुन लो ना, हाँ
सुन लो ना
सुन लो ना
सुन लो ना