तेरी यादों से दूरी बेहतर है
करती जीना है मुश्किल
ये वो बारिश है, देती बंजर हैभीग के होगा क्या हासिल?
तुझे ही नहीं जब मेरी आरज़ू है
मुझे भी कहाँ फिर तेरी जुस्तजू है
तेरी यादों से दूरी बेहतर है
करती जीना है मुश्किल
ये वो बारिश है, देती बंजर है
भीग के होगा क्या हासिल?
तुझे ही नहीं जब मेरी आरज़ू है
मुझे भी कहाँ फिर तेरी जुस्तजू है
राहों में ढूँढा करता हूँ (करता हूँ)
जब भी कहीं से गुज़रता हूँ (गुज़रता हूँ)
भूले से तू मिल जा कभी
आँखों को चेहरा दिखा कभी
कोई भी आहट सुनता हूँ
दर पे निगाहें करता हूँ
ऐसा ना हो, तू हो कहीं
आ के भी मुझसे मिले नहीं
तेरे बिना मैं तन्हा हूँ (तन्हा हूँ)
वक़्त से टूटा लम्हा हूँ (लम्हा हूँ)
ऐसे ना मुझको सज़ा दे तू
मेरी ख़ताऍं भुला दे तू
क्यूँ ये उम्मीद मैं रखता हूँ? (मैं रखता हूँ)
क्यूँ ये मैं सोचा करता हूँ?
काश, मुझे फिर बुला ले तू
′गर हूँ ख़फ़ा तो मना ले तू
तेरी यादों से दूरी बेहतर है
करती जीना है मुश्किल (मुश्किल)
ये वो बारिश है, देती बंजर है
भीग के होगा क्या हासिल?
तुझे ही नहीं जब मेरी आरज़ू है
मुझे भी कहाँ फिर तेरी जुस्तजू है