Khwab

Iqlipse Nova , Aditya A

ज़ुल्फ़ें तेरी मेरे चेहरे को सहलाती हैं
तो क़िस्मत मेरी हौले से कुछ गुनगुनाती है
जो छुप ना सके, वो बात हो
हैं सब जानते जो, वो राज़ हो
प्यासा हूँ मैं, तुम बारिश की आवाज़ हो

जो मैं रात हूँ तो तू ख़्वाब है
जो मैं ख़ाली पन्ना, तू अल्फ़ाज़ है
मैं खोया मुसाफ़िर तो तू छाँव है
ये पहली मोहब्बत का एहसास है

बिना कुछ कहे जो तू नज़रों से सब कह जाती है (कह जाती है)
तो फ़ुर्सत मेरी ख़्वाब तेरे दिखलाती है

तेरे पास मैं, मेरे पास तू
अकेला हूँ तो ही तेरे साथ हूँ
मैं टूटा तारा, है चाँदनी रात तू

जो मैं रात हूँ तो तू ख़्वाब है
जो मैं ख़ाली पन्ना, तू अल्फ़ाज़ है
मैं खोया मुसाफ़िर तो तू छाँव है
ये पहली मोहब्बत का एहसास है

मैं यहाँ, तू कहाँ? कैसी ये तन्हाइयाँ?
ढूँढ लूँ मैं तुझे, इशारा तू कर दे ज़रा

जो रूठे भी तो ना जाना कहीं
मैं तेरा था कल, मैं तेरा अभी

जो मैं रात हूँ तो तू ख़्वाब है
जो मैं ख़ाली पन्ना, तू अल्फ़ाज़ है
मैं खोया मुसाफ़िर तो तू छाँव है
ये पहली मोहब्बत का एहसास है

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