अगर कुछ बातें तुम्हारे लफ़्ज़ों पे आ रही है
इनकी ये आहट मुझे भी सुनाई दे रही है
Hmm, छोड़ो आओ बैठो, हम करते हैं फिर से शुरू
ग़िले-शिकवे, सारी बातें भूल करते हैं फिर से शुरू
तुम्हारी बात है
हो दिन या रात ये
एक तुम ही नहीं होती हो
बिन नींदों की रातें
कुछ अनकही बातें
तुम जाने नहीं देती हो
मेरी ये ख़्वाहिश तुम्हारे पे आ के ख़तम होती है
हमारी बातें, वो रातें नज़्मों में मैंने लिखी है
Hmm, छोड़ो आओ बैठो, हम करते हैं फिर से शुरू
ग़िले-शिकवे, सारी बातें भूल करते हैं फिर से शुरू
छोड़ो आओ बैठो, हम करते हैं फिर से शुरू
ग़िले-शिकवे, सारी बातें भूल करते हैं फिर से शुरू