ज़रा-ज़रा अभी बातें शुरू ही हुई
मगर खुश हूँ मैं आज-कल
Hmm, अभी तलक मेरी शाम तो ऐसी ना थीजैसे हलकी है आज-कल
क्या है ये माजरा? कुछ तो है मिल रहा
या फिर मैं ही बस मन ही मन किस्से बनाने लगा
ऐसे क्यूँ? हाँ, क्यूँ?
हाँ, क्यूँ तू कुछ बोले ना?
ऐसे क्यूँ? हाँ, क्यूँ?
हाँ, क्यूँ तू कुछ बोले ना? बोले ना
हो, एक दिन हौले से तुझसे है ये पूछना
रातें तेरी भी थोड़ी फिरोज़ी-फिरोज़ी सी हैं भी क्या?
हो, एक दिन रात भर जो तू देखे जाग कर
कहना सपने सवेरे गुलाबी-गुलाबी से हैं भी क्या?
हो, एक दिन अकेले में दिल से सोचना
एक दिन अकेले में खुद से बोलना
क्या है ये माजरा? कुछ तो है मिल रहा
या फिर मैं ही बस मन ही मन किस्से बनाने लगा
ऐसे क्यूँ? हाँ, क्यूँ?
हाँ, क्यूँ तू कुछ बोले ना?
ऐसे क्यूँ? हाँ, क्यूँ?
हाँ, क्यूँ तू कुछ बोले ना? बोले ना
ऐसे क्यूँ? मैं कुछ तो लिखती हूँ
लिख के मिटाती हूँ मैं रात भर
ऐसे क्यूँ? बातें खुद की ही
खुद से छिपाती हूँ मैं आज कल
पर ये सब सोचना, दिल को यूँ खोलना
सब कुछ कह कर ही सब को बताना ज़रूरी है क्या?
ऐसे क्यूँ? हाँ, क्यूँ?
हाँ, क्यूँ? क्यूँ है बोलना?
ऐसे क्यूँ? हाँ, क्यूँ?
हाँ, क्यूँ? क्यूँ है बोलना? बोलना